नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। अहि यक्षिणी साधना और कथा अभी तक आपने जाना कि किस प्रकार से राजा सोमनाथ अहि यक्षिणी को सिद्ध कर लेता है और इन को सिद्ध करने के बाद वह अधिक मात्रा में धन भी प्राप्त कर लेता है। किंतु उसकी परिस्थिति वैसी की वैसी ही रहती है। कारण आदिवासी राजा एक बार फिर से उसके राज्य पर आक्रमण कर देता है। अभी सोमनाथ ने अपनी बड़ी सेना भी नहीं निर्मित की थी और इस आदिवासी राजा के पास एक बहुत बड़ी सेना। उसके राज्य पर हमला कर चुकी थी। यह बात राजा को समझ में नहीं आई। वह राज महल के बाहर ऊंची दीवार से खड़ा होकर यह सब कुछ देख रहा था। अपने कुछ गुप्त चरो को उसने भेजा और उस किले के सारे दरवाजों को बंद करवा दिया। गुप्तचर कुछ समय बाद पूरी जानकारी लेकर वापस लौट आए। तब पता चला कि आदिवासी राजा के पास आपका सारा पुराना धन है। इसी कारण से इसने आपकी सेना के बहुत सारे सामंतों को खरीद लिया। इसके अलावा आसपास के राज्यों की कई सेनाओं को इसने उस धन के माध्यम से खरीद लिया है। इसके अलावा इसके पास एक शक्तिशाली तांत्रिक भी मौजूद है। जिसने कहा है कि आप पर वह हमला करें और पूरे राज्य को प्राप्त कर ले। कोई भी अब इन दोनों की युगल शक्ति के आगे टिक नहीं पा रहा। आदिवासी राजा बहुत अधिक शक्तिशाली हो चुका है। हमारे राज्य में जितने लोग रहते हैं, उतनी बड़ी तो उसकी खुद की सेना है। आप इसे देख लीजिए। इसने पूरे किले को चारों तरफ से घेर लिया है और लगातार हमला कर रहा है। किसी भी समय इस किले के द्वार टूट सकते हैं और अगर ऐसा हो गया तो फिर उसकी सेना को हमारे राज्य में प्रवेश करने से कोई रोक नहीं पायेगा और फिर पिछली बार की तरह आप अपनी समस्त सेना सहित मारे जाएंगे। इसीलिए आप यहां से चुपचाप! एक सुरंग के रास्ते निकल कर भाग जाएं। यह सारे गुप्तचरो के द्वारा जब इस प्रकार कहा गया तब राजा ने कहा, मैं अब नहीं डरने वाला आखिर मैं कब तक भागूगा, आखिर मैं राजा हूं। और अगर इसकी सेना मुझे चारों ओर से घेर ली है। तो भी मैं इस से युद्ध करता रहूंगा। उसने अपनी कुछ सेना बाहर! निकालकर युद्ध में लड़ने के लिए भेज दी और बाकी सभी सैनिक दीवारों के ऊपर बाण चलाने के लिए रख छोड़े। और वहां से वहां बाण चलाते रहें ताकि शत्रु की सेना को कुछ नुकसान पहुंचाया जा सके। इस प्रकार 1 दिन बीत जाने पर राजा की जो सेना उसने युद्ध में लड़ने के लिए भेजी थी। पूरी की पूरी समाप्त हो गई। अब यह खबर गुप्तचरों के द्वारा राजा को प्राप्त हुई तो राजा बहुत अधिक चिंतित हो गया। उसने सोचा भी नहीं था, इस प्रकार उसकी गति होगी। तब राजा ने सोचा अब मेरे पास कोई और मार्ग नहीं है। मुझे अहि यक्षिणी को दोबारा से आवाहन कर बुलाना पड़ेगा। मुझे उनकी सहायता की आवश्यकता है। अब केवल वही है जो मेरी सहायता कर सकती हैं और इस भयानक मुसीबत से मुझे बचा सकती है। राजा पहले से स्थापित की गई उनकी मूर्ति के सामने साधना करने बैठ गया। थोड़ी देर बाद वहां पर यक्षिणी प्रकट हो गई और तब राजा ने उन्हें प्रणाम करते हुए कहा कि बहन अब आप मेरी रक्षा कीजिए। मैं एक विचित्र समस्या में फस गया हूं जो मेरे साथ पहले घटित हुआ था। बिल्कुल वही दोबारा मेरे साथ घटित हो रहा है। आप मेरी रक्षा कीजिए तब अहि यक्षिणी ने कहा, क्या समस्या है आप मुझे बताइए? तब राजा ने बाहर की सारी परिस्थिति उन्हें बता दी तब अहि यक्षिणी ने कहा, इस वक्त मैं आपकी प्रत्यक्ष रूप में सहायता नहीं कर सकती क्योंकि मैं यक्ष लोक में एक विशेष प्रकार की साधना को कर रही हूं। हम सभी भगवान शिव के वार्षिक महोत्सव में उपस्थित होकर उनकी साधना करते हैं। इसमें कोई भी यक्ष और यक्षिणी। ऐसा नहीं हो सकता कि भाग ना ले और साधना ना करें। ऐसे में अब एक ही मार्ग बचता है। मैंने आपको कई सारी पत्नियां प्रदान की थी। वह सभी यक्षिणी है और उनके पास विशेष तरह की शक्तियां भी मौजूद है क्योंकि आपके साथ उनका विवाह हुआ है इसलिए उन पर यह नियम लागू नहीं होता है। आप उन्हें बुलवाइए तब राजा सोमनाथ ने अपनी सभी पत्नियों को आमंत्रण भेजा। सभी की सभी वहां पर उपस्थित हो गई। तब अहि यक्षिणी ने कहा, मेरे भाई को आप सभी की शक्तियों की आवश्यकता है। आप सभी मेरी सर्पशक्ति हासिल कीजिए, मैं सभी को अपनी सर्प शक्ति प्रदान करती हूं। इससे आप बाहर खड़े सभी दुश्मनों पर सांपों और नागौ से हमला कर पाएंगे। और इससे सेना में तितर-बितर! फैल जाएगी सभी को डसकर आप उन सब का वध कर सकती हैं। इस प्रकार अहि यक्षिणी ने अपनी तर्कशक्ति! भगवान भोलेनाथ की कृपा से उन सभी यक्षिणी स्त्रियों को प्रदान की। अब! महल के बाहर की दीवार से उसकी सभी पत्नियों ने नागो और सांपों की वर्षा शुरू कर दी। यह देखकर राजा आश्चर्यचकित रह गया। इतनी अधिक मात्रा में सांप और नाग की वर्षा हुई कि आदिवासी राजा की सेना में हड़कंप मच गया। तब आदिवासी राजा ने अपने तांत्रिक को कहा इस समस्या से कैसे बाहर निकला जाए तब तांत्रिक ने वहां पर एक विशेष प्रकार का नाग मानव उत्पन्न किया जो कि तंत्र से बना हुआ था। उसने सभी नामों और सांपों को खाना शुरू कर दिया और उनके साथ भयानक युद्ध करने लगा। लेकिन यक्षिणी! संख्या में कई अधिक शक्तिशाली होने के कारण अब तक उन्होंने उस आदिवासी राजा की आधी सेना समाप्त कर दी थी। तब तांत्रिक ने उस! नाग मानव को विशेष तरह की एक तंत्र ऊर्जा प्रदान करी। जो कि भगवान शिव का एक शक्तिशाली! नागास्त्र! था इस अस्त्र के इस्तेमाल से सभी सांपों और नागों की हत्या हो गई और एक बार फिर से आदिवासी राजा ने सभी यक्षणियों को बांध दिया था। यह युद्ध कुल 5 दिन चला तब राजा भागते हुए अपने महल। मैं फिर से उसी स्थान पर पहुंचा। और अभी यक्षिणी की साधना फिर से शुरू कर दी। अबकी बार देवी फिर से प्रकट हो गई। और कहने लगी। मेरी पूजा समाप्त हो चुकी है। अब मैं प्रत्यक्ष रूप से तुम्हारी सहायता के लिए यहां पर आ चुकी हूं। तब उससे? शक्तिशाली और यक्षिणी ने सामने खड़े होकर पूरी सेना को देखा। और अपनी भयंकर विष फुँकार का प्रयोग किया। इसके प्रयोग से पूरी सेना मूर्छित होकर गिर पड़ी तांत्रिक उसके साथ उसका वह नाग मानव। वह राजा! और उसकी सारी सेना सब के सब बेहोश होकर गिर गए। तब अहि उन सभी को अपने नागों के वार से घायल कर पूरी तरह बांध दिया। इस प्रकार वह राजा पराजित हुआ। तब अहि यक्षिणी ने उस राजा का सारा धन सोमनाथ को दिया। इस प्रकार अहि यक्षिणी अपना कार्य करके वहां से लौट गई और तब से राजा ने अहि यक्षिणी की साधना अपने और अपने वंशजों को प्रदान की। ताकि वह भी अभी यक्षिणी को सिद्ध करके शक्तियां प्राप्त करते रहें। यह साधना आज मैंने आप लोगों के लिए पीडीएफ के माध्यम से उपलब्ध करवा दी है। इसे आप मेरे इस वीडियो के नीचे डिस्क्रिप्शन बॉक्स से क्लिक करके इंस्टामोजो में जाकर खरीद सकते हैं। तो यह थी पूरी कथा कहीं यक्षिणी की साधना की। अगर आज का वीडियो आपको पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद। |
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