पौराणिक महामाया यक्षिणी कथा और साधना विवरण
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल में आपका एक बार फिर स्वागत है आज हम एक यक्षिणी महामाया की पौराणिक जानकारी और कथा के विषय में जानेंगे जिसका विवरण धर्म ग्रंथो में मिलता है महामाया यक्षिणी हिंदू धर्म में एक देवी हैं। वे तंत्र और मंत्र विद्या से संबंधित हैं। महामाया यक्षिणी अपरन्ना, स्मशान काली और चिन्तामणि यक्षिणी के रूप में भी जानी जाती हैं। वे तंत्र में सुप्रसिद्ध हैं और उन्हें शक्ति, संयम और समृद्धि की देवी माना जाता है।
इन देवियों की पूजा से मनुष्य अपने जीवन में समृद्धि, उन्नति और शांति प्राप्त कर सकता है। महामाया यक्षिणी की पूजा के लिए विशेष उपायों का पालन करना होता है, जैसे कि मन्त्र जाप, अहुति, हवन आदि।
इन देवियों का महत्व तंत्र
महामाया यक्षिणी एक प्रसिद्ध कथा है जो अत्यंत रोमांचक है। यह कथा पुराने भारतीय साहित्य में से है और इसमें भगवान शिव और उनकी पत्नी माता पार्वती के बीच एक रोमांचक विवाद को दर्शाया गया है।
कथा के अनुसार, एक दिन भगवान शिव और माता पार्वती एक नदी के किनारे घूम रहे थे। वहां उन्हें एक यक्ष और उसकी पत्नी मिली, जिनका नाम था कुबेर और महामाया यक्षिणी। वह यक्ष अपनी पत्नी से बहुत प्यार करता था और वह उससे भी बहुत प्यार करती थी।
भगवान शिव और माता पार्वती ने उन्हें देखते हुए पूछा कि यह कौन हैं। उस यक्ष ने अपना नाम बताया और उसकी पत्नी का नाम महामाया यक्षिणी था। माता पार्वती ने यक्षिणी को देखकर उनके खूबसूरत रूप की तारीफ की और उनसे पूछा कि वह उनकी सहायता कैसे कर सकती हैं। यक्षिणी ने बताया कि उनकी समस्या थी जो कि उन्हें न तो कोई विशेष शक्ति हल कर सकती थी और न ही कोई देवी-देवता। माता पार्वती ने उनसे अनुरोध किया कि वह उन्हें उनकी समस्या के बारे में बताएं ताकि वह उनकी मदद कर सकें।
यक्षिणी ने बताया कि वह अपने पति के साथ खुश रहती थी, लेकिन जब माता पार्वती ने यक्षिणी से उसकी समस्या के बारे में पूछा, तो उसने बताया कि उसके पति ने उसे एक दुश्मन के सामने चुनौती दी है कि वह अपनी समस्त संपत्ति को जला दे। यक्षिणी का पति उस दुश्मन से जीत नहीं पाया था और अब यक्षिणी को उस दुश्मन के आगे अपनी सम्पत्ति को जलाने की चुनौती स्वीकार करनी पड़ रही थी।
माता पार्वती ने यक्षिणी की समस्या को सुनकर उसे उसकी मदद करने का वादा किया। वह उसे एक विशेष लकड़ी का टुकड़ा दी और कहा कि यदि यक्षिणी उस लकड़ी का उपयोग करेगी, तो उसे अपनी समस्या से मुक्ति मिल सकती है।
यक्षिणी ने धन्यवाद कहते हुए उस लकड़ी अपने एक सेवक को दे दी
लेकिन उसके पति की एक दुश्मन ने उसे चुनौती दी थी कि वह अपनी सारी सम्पत्ति जो उसने अपने लिए जमा की है, जला दे। नहीं तो उसका विनाश हो जायेगा राजा ने इस चुनौती को स्वीकार कर लिया और उसने यक्षिणी से अपनी सम्पत्ति को बचाने के लिए मदद मांगी।
महामाया यक्षिणी ने राजा को अपनी सम्पत्ति को जलाने से रोकने के लिए कहा लेकिन उसने ये शर्त रखी कि उसे राजा की बेटी के साथ विवाह करना होगा। राजा ने इस शर्त को स्वीकार कर लिया और उसने अपनी बेटी को यक्ष से विवाह के लिए भेज दिया।
महामाया यक्षिणी ने राजकुमारी को एक गुफा में ले जाकर उसके साथ विवाह कर लिया। उसे अपनी सम्पत्ति और शक्ति का रहस जानने के बाद, महामाया यक्षिणी ने राजकुमारी को अपने साथ ले जाकर एक गुफा में बंधक बना दिया। यक्षिणी राजकुमारी को रोज अपने पास ले जाकर समझाती थी कि उसे यक्षिणी के वश में होना चाहिए और उससे विवाह करना उसके लिए सही नहीं है।
राजकुमारी बहुत परेशान थी और उसे यक्षिणी से बचने का कोई रास्ता नहीं था। लेकिन उसने एक दिन गुफा में एक परिचर्यक के साथ बातचीत करते हुए उसे बताया कि वह किसी तरह भी यक्षिणी से मायाजाल से बाहर निकलना चाहती है। परिचर्यक ने उसे एक चमकती हुई लकड़ी का टुकड़ा दिया जो वह यक्षिणी को दे सकती थी।
राजकुमारी ने उस लकड़ी का टुकड़ा ले जाकर यक्षिणी के सामने आई और उससे कहा कि उसे यक्षिणी से निजात चाहिए। यक्षिणी ने उस लकड़ी को देखते ही भागते हुए राजकुमारी के पीछे दौड़ना शुरू कर दिया। राजकुमारी लकड़ी का टुकड़ा अपने पीछे फेंक दिया और यक्षिणी का प्रभाव खत्म हो गया। राजकुमारी स्वतंत्र हो गई जब राजकुमारी ने यक्षिणी के प्रभाव से मुक्त हो जाने के बाद, वह अपने घर लौट गई और अपने पिता राजा से यह सब बताया। राजा बहुत खुश थे कि उनकी बेटी को यक्षिणी के बल पर विवाह करने से बचा लिया गया था।
इसके बाद से, राजकुमारी को यक्षिणी के प्रभाव से मुक्त होने के लिए लकड़ी का टुकड़ा एक प्रभावशाली उपाय बन गया। लोग उस लकड़ी को ‘महामाया लकड़ी’ नाम देने लगे थे और उसे लोग अपने घरों में रखना शुरू कर दिया था
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