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श्री भैरव चालीसा सिद्धि सभी संकटों दूर करने वाला

श्री भैरव चालीसा सिद्धि सभी संकटों दूर करने वाला

आज हम जो विशेष और सरल साधना लेकर उपस्थित हुए हैं, इसमें हम श्री भैरव चालीसा के नाम से जानते हैं। इस साधना को सहज रूप से करने पर बहुत लाभ मिलता है। जा किया जा किया जा सकता जा सकता है और सिद्धि भी इसकी जो है, बहुत सरल मानी जाती है तो भैरव चालीसा का पाठ करके इसे सिद्ध करने की विधि है उसका आज से जानकारी प्राप्त की जाएगी। भैरव चालीसा लगभग सारे संकटों को दूर करने वाला है और भैरव जी की विशेष कृपा दिलाने में सबसे ज्यादा समर्थ माना जाता तो आज हम लोग इसी भैरव चालीसा को पहले पढ़ते हैं। फिर जानेंगे कि इसकी कैसे साधना की जा सकती है।

दोह
श्री गणपति गुरु गौरी पद प्रेम सहित धरि माथ।
चालीसा वंदन करो श्री शिव भैरवनाथ॥
श्री भैरव संकट हरण मंगल करण कृपाल।
श्याम वरण विकराल वपु लोचन लाल विशाल॥

जय जय श्री काली के लाला। जयति जयति काशी- कोतवाला॥
जयति बटुक- भैरव भय हारी। जयति काल- भैरव बलकारी॥
जयति नाथ- भैरव विख्याता। जयति सर्व- भैरव सुखदाता॥
भैरव रूप कियो शिव धारण। भव के भार उतारण कारण॥
भैरव रव सुनि हवै भय दूरी। सब विधि होय कामना पूरी॥
शेष महेश आदि गुण गायो। काशी- कोतवाल कहलायो॥
जटा जूट शिर चंद्र विराजत। बाला मुकुट बिजायठ साजत॥
कटि करधनी घुंघरू बाजत। दर्शन करत सकल भय भाजत॥
जीवन दान दास को दीन्ह्यो। कीन्ह्यो कृपा नाथ तब चीन्ह्यो॥
वसि रसना बनि सारद- काली। दीन्ह्यो वर राख्यो मम लाली॥
धन्य धन्य भैरव भय भंजन। जय मनरंजन खल दल भंजन॥
कर त्रिशूल डमरू शुचि कोड़ा। कृपा कटाक्ष सुयश नहिं थोडा॥
जो भैरव निर्भय गुण गावत। अष्टसिद्धि नव निधि फल पावत॥
रूप विशाल कठिन दुख मोचन। क्रोध कराल लाल दुहुं लोचन॥
अगणित भूत प्रेत संग डोलत। बम बम बम शिव बम बम बोलत॥
रुद्रकाय काली के लाला। महा कालहू के हो काला॥
बटुक नाथ हो काल गंभीरा। श्‍वेत रक्त अरु श्याम शरीरा॥
करत नीनहूं रूप प्रकाशा। भरत सुभक्तन कहं शुभ आशा॥
रत्‍न जड़ित कंचन सिंहासन। व्याघ्र चर्म शुचि नर्म सुआनन॥
तुमहि जाइ काशिहिं जन ध्यावहिं। विश्वनाथ कहं दर्शन पावहिं॥
जय प्रभु संहारक सुनन्द जय। जय उन्नत हर उमा नन्द जय॥
भीम त्रिलोचन स्वान साथ जय। वैजनाथ श्री जगतनाथ जय॥
महा भीम भीषण शरीर जय। रुद्र त्रयम्बक धीर वीर जय॥
अश्‍वनाथ जय प्रेतनाथ जय। स्वानारुढ़ सयचंद्र नाथ जय॥
निमिष दिगंबर चक्रनाथ जय। गहत अनाथन नाथ हाथ जय॥
त्रेशलेश भूतेश चंद्र जय। क्रोध वत्स अमरेश नन्द जय॥
श्री वामन नकुलेश चण्ड जय। कृत्याऊ कीरति प्रचण्ड जय॥
रुद्र बटुक क्रोधेश कालधर। चक्र तुण्ड दश पाणिव्याल धर॥
करि मद पान शम्भु गुणगावत। चौंसठ योगिन संग नचावत॥
करत कृपा जन पर बहु ढंगा। काशी कोतवाल अड़बंगा॥
देयं काल भैरव जब सोटा। नसै पाप मोटा से मोटा॥
जनकर निर्मल होय शरीरा। मिटै सकल संकट भव पीरा॥
श्री भैरव भूतों के राजा। बाधा हरत करत शुभ काजा॥
ऐलादी के दुख निवारयो। सदा कृपाकरि काज सम्हारयो॥
सुन्दर दास सहित अनुरागा। श्री दुर्वासा निकट प्रयागा॥
श्री भैरव जी की जय लेख्यो। सकल कामना पूरण देख्यो॥

दोह
जय जय जय भैरव बटुक स्वामी संकट टार।
कृपा दास पर कीजिए शंकर के अवतार॥

आपने देखा कि देखा कि श्री भैरव चालीसा के माध्यम से हम विभिन्न प्रकार के सुखों को प्राप्त कर सकते हैं। इसकी विधि है, बहुत सरल है। साधना से पहले नहा ले और काले रंग के वस्त्र धारण करें। भैरव जी का रंग काला है इसलिए काले रंग के ही ऊनी आसन पर विराजित हो अथवा काले रंग की भेड़ की चरम पर बैठे और साधना के लिए आप भैरव जी की मूर्ति अथवा भैरव यंत्र को। फोटो की ओर मुंह करके यह साधना दक्षिण आपका मुख होना चाहिए। हैं। आप इस प्रकार वहां पर तांत्रिक नारियल, मिर्च की सूखी मिर्च, सूखी लकड़ी, सिंदूर यह हवन सामग्री के लिए प्रयुक्त कर सकते हैं और आप? रुद्राक्ष या काले हकीक की माला से मंत्र का जाप करें। भैरव पूजा में केवल सरसों के तेल के दीपक का प्रयोग करें और सभी मनोकामना बोलकर ही यह साधना शुरू करनी चाहिए।
शनिवार का दिन उपयुक्त माना जाता है। साधना से शनिदेव प्रसन्न होते हैं और आपको जीवन में हर प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती है। इनकी साधना के लिए रोजाना एक माला इस स्त्रोत का पाठ 40 दिन करने से भैरव जी के दर्शन हो जाते हैं। अगर वह गोपनीय रूप में दर्शन दे तो सावधान होकर। बुद्धि लगाकर समझना चाहिए। क्योंकि वह किसी भी रुप में आकर आपकी परीक्षा ले कर चले जाते हैं। साधना काल में अगर आपको डर लगता है तो आप रात्रि सूक्त का पाठ कर सकते हैं जो श्री दुर्गा सप्तशती में दिया हुआ है भैरव जी!
के वाहन की सेवा अवश्य करें और भोग सामग्री का कुछ अगर काले रंग के रूप में अवश्य खिलाए। कुत्ते अगर काले रंग के हैं तो सर्वोत्तम माना जाता है। भैरव बाबा की इस चालीसा का जो भी व्यक्ति रोजाना पाठ करता है उसके संकट टलने लगते हैं। पर आपको विभिन्न प्रकार की भैरव जी अपनी सिद्धियां मिलती है। क्योंकि यह एक सात्विक तरीके से की जाने वाली साधना है, इसलिए प्रत्येक व्यक्ति कर सकता है। स्वरुप भयंकर है इसलिए सावधान होकर के साधना करनी चाहिए तो यह था भैरव जी की साधना से संबंधित उनके चालीसा से संबंधित एक विवरण अगर आज का वीडियो आप लोगों को पसंद आया है तो लाइक करें शेयर करें सब्सक्राइब हो, धन्यवाद जय मां पराशक्ति।

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