साधकों के प्रश्न और उत्तर बहुत जरूरी जानकारी 89
१. साधना समाप्त होने के कितने दिनों बाद ब्रह्मचर्य तोड़ा जा सकता है ?
उत्तर:- जब किसी प्रकार की साधना की जाती है तो उस साधना को सिद्ध करने के कई नियम बन्दन होते है, उसमे प्रमुख नियम होता है की आप साधना काल में पूर्ण रूप से ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करेंगे, ख़ास कर तांत्रिक सिद्धियों में मन, वचन और कर्म से ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करना अनिवार्य है | ब्रह्मचर्य केवल वीर्य स्खलन तक ही नहीं बल्कि मन में भी आपको गलत विचारो से बचना होता है | जब कोई साधना रत होता है तो उस दौरान साधक में विशेष ऊर्जा का संचार होता है| जब तक आप उस ऊर्जा को उतना एकत्रित नहीं कर लेते जितना उस साधना में सिद्धि प्राप्त करने के लिए आवश्यक है तब तक आपको किसी प्रकार की सिद्धि प्राप्त नहीं होगी और शक्तिपात का भी यही उद्देश्य रहता है की जब गुरु देखता है की शिष्य प्रयास करके भी उतनी शक्ति स्वयं में एकत्रित नहीं कर पा रहा जिसके कारण उसको साधना में सफलता नहीं मिल पा रही है, तो गुरु अपनी शक्ति पुंज में से कुछ शक्ति उस साधक के शरीर में स्थापित कर देता है जिससे उसे सफलता मिल जाती है| अगर साधना के बीच में अगर ब्रह्मचर्य टूट जाता है तो वह शक्ति जो अब तक एकत्रित हुई है वो समाप्त हो जाती है | आप ब्रह्मचर्य तब तोड़ सकते है जब आपने उस साधना को पूर्ण रूप से कर लिया हो |
२. किसी भी दिव्य शक्तियों को धारण करना और शक्तियों को प्रत्यक्ष करना, उनसे वचन लेना, इन दोनों में क्या अंतर है ?
उत्तर :- किसी भी शक्ति को पूर्ण रूप से धारण कर लेना का मतलब की आप स्वयं वही बन जाते है, जब नदी समुद्र से जाकर के मिलती है तो नदी स्वयं समुद्र का रूप धारण कर लेती है, इसी प्रकार अगर आप किसी को धारण कर पाते है तो आप स्वयं उनका स्वभाव, शक्तियों और वही आचरण प्राप्त करते है जो उस देवता का है | जब हम किसी शक्ति को प्रत्यक्ष कर लेते है तो उसमें और हममें ज्यादा अंतर नहीं होता है फिर भी एक दूरी बनी हुई होती है |
३. क्या धारणा और ध्यान के माध्यम से हम शक्तियों को प्रत्यक्ष कर सकते है ?
उत्तर:- ध्यान और धारणा की सहायता से आप देवताओ को प्रत्यक्ष कर सकते है| इस प्रकार के प्रयोग भिन्न भिन्न तरीको से भिन्न भिन्न माध्यमों से किया जाता है | लेकिन उससे पूर्व आपको उस देवता से सम्बंधित एक निश्चित मंत्र जाप कर लेना आवश्यक है जिससे आपके शरीर में ऊर्जा का संचार हो सके और उस ऊर्जा माध्यम से आप ध्यान और धारणा की और जा सके, फिर जब आप ध्यान का प्रयोग करेंगे तब आपको सफलता निश्चित रूप से देखने को मिलेगी |