साधकों के प्रश्न और उत्तर बहुत जरूरी जानकारी 161
प्रश्न १ :- शिव और सदाशिव क्या भिन्न है?
उत्तर:- भगवान शिव कई लोकों के लोकादि पति है जिनका कार्य संघार करना है या जो स्वयं काल स्वरुप है | सदा शिव का मतलब होता है जो सदैव रहने वाले है यानी उनमे कभी किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं होता, जो सदैव एक समान रहने वाले है शिव भी उनका ही स्वरूप है इनके माध्यम से ही प्रकट होते है | भगवान शिव का एक समय बाद विलीनीकरण हो सकता है लेकिन सदा शिव सदैव रहने वाले है |
प्रश्न २ :- विष्णु और महाविष्णु में क्या अंतर है?
उत्तर:- महाविष्णु ही अपने में से कई विष्णु शक्ति को प्रकट करते है और उनके माध्यम से पुरे ब्रह्माण्ड का पालन करते है | जिस प्रकार यह ब्रह्माण्ड अनंत है उसी प्रकार यह शक्तियाँ भी अनंत है और सभी महा विष्णु से प्रकट हो कर विभिन्न लोको को संभाल रहे है, उनकी रक्षा और पालन कर रहे है|
प्रश्न ३:- गुरुजी आपने बताया की 9 लाख मंत्र जाप के तपोबल से आप इतने सामर्थ्यवान बन जाते है की आपका मृत्यु के बाद स्वर्ग लगभग पक्का हो जाता है, गुरुजी यही संख्या लगभग मोक्ष के लिए कितनी चाहिए?
उत्तर:- अगर कोई व्यक्ति गुरु मंत्र का ९ लाख जप संपन्न कर लेता है तो निश्चित रूप से उसकी ऊर्जा इतनी बढ़ जाती है की वह स्वर्ग का अधिकारी बन जाता है | लेकिन अगर वह पाप कर्म में लीन रहता है तो उसका तपो बल क्षय होने लग जाएगा और उसकी स्थिति स्वर्ग लोक तक नहीं पहुंच पाएगी इसलिए यह जरुरी है की ९ लाख मंत्र जाप के बाद भी व्यक्ति किसी प्रकार पाप कर्म में लीन न हो अन्यथा उसकी पहुँच स्वर्ग लोक तक नहीं हो सकती |
मोक्ष तब ही प्राप्त होगा जब आप किसी प्रकार की इक्षा से बंधे नहीं हो और गुरु मंत्र का जाप बहुत ही अधिक शंख्या में किया हो, बहुत तीव्र तरीके से साधना के बाद ही भगवती के दर्शन प्राप्त होते है फिर आप उनके चरणों में लीन होते है | लेकिन यह क्रिया कठिन है इसके लिए अत्यंत तपोबल की आवश्यकता पड़ती है |
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