गुप्त तारा साधना और जिन से लड़की की रक्षा 6 वां अंतिम भाग
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। गुप्त तारा साधना और जिन से लड़की की रक्षा अब आगे जानते हैं।
तो मेरे सामने यह सबसे बड़ा एक मौका था कि मैं गुरु को भी अपनी शक्ति दिखा सकूं और इस लड़की को भी बचा सकूं जो कि एक जिन के कब्जे में आ चुकी थी इसीलिए मैंने अब जब वह कुछ बैठी बुदबुदा रही थी। तो मैंने उसके पास जाकर कहा। सुनो तुम जो इसके अंदर बैठ कर कोई तांत्रिक क्रिया कर रहे हो, इसका मुझ पर कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला है। मैं यह सब कुछ अच्छी तरह जानता हूं। इसलिए बाहर आ जाओ नहीं तो मैं पकड़कर तुम्हें बाहर ले आऊंगा। पर उस लड़की ने जैसा हमारी ओर ध्यान ही नहीं दिया। मैंने अब की बार गंगाजल लेकर। अपनी सिद्ध शक्ति का मंत्र बोला और वह गंगाजल उस लड़की पर फेंक कर मारा। इससे वह लड़की एकदम से आग बबूला हो गई। उसका गुस्सा चरम पर था। उसने पास रखी एक बोतल। मुझ पर फेंक कर मारी। मैं तुरंत ही साइड में हट गया और वह बोतल जाकर मेरे गुरु को लगी। उनके चोट लग गई थी। मुझे इस बात से बहुत अधिक गुस्सा आ गया। मैंने अब उसे तुरंत ही अपने कब्जे में लेने की सोची मैंने। उस! व्यक्ति से कहा कि जल्दी से जाकर लाल कपड़ा लेकर आओ। और वह जल्दी ही एक लाल रंग का कपड़ा लेकर आ गया जो कि माता की चुनर थी। मैंने वह चुनर उस लड़की के गले में बांध दी। अब लड़की हिल भी नहीं पा रही थी। और घूरघुराती आवाज से उसने कहा, तुम यह अच्छा नहीं कर रहे हो मैं तुझ से बदला जरूर लूंगा। कोई दुनिया की ताकत अब तुझे नहीं बचा पाएगी? मैं कसम खाता हूं। मैं? अपनी नमाज पढ़ रहा था। हमारी शैतानी नमाज! अभी पूरी नहीं हुई थी और तूने यह सब मुझसे कैसे छीन लिया? तब मैंने उसकी बातों की ओर ध्यान न देकर उस पर मंत्र पढ़ा और अपनी शक्ति का आवाहन किया। उन्होंने उसे! उसके शरीर से खींच लिया। लड़की तुरंत बेहोश होकर एक तरफ गिर गई। मैंने वह लाल चुनर एक मटके में रखकर उसे चारों तरफ से ढक दिया और जाकर जमीन में एक! कब्रिस्तान में गाड़ दिया। मैं वापस इनके घर आया तो लड़की बिल्कुल ठीक नजर आ रही थी। मैंने भट्टे के मालिक उस व्यक्ति से कहा, अब आपकी लड़की ठीक है। तब उस भट्टे के मालिक ने कहा, आप लोगों ने हमारी बहुत बड़ी मदद की है। मैं जमीन का एक छोटा सा टुकड़ा आप लोगों को दान करना चाहता हूं। उसने तुरंत ही एक वकील को बुलवाकर। हमारे नाम 4 बीघा जमीन कर दी। गुरुजी बहुत खुश थे। उन्होंने मेरी पीठ थपथपाई और कहा, तुमने सच में एक बहुत अच्छा काम किया है। मेरा तो दिल ही खुश हो गया। आज तुमने किसी की मदद भी की है और बहुत कुछ प्राप्त भी किया है। मैंने कहा गुरुदेव सब आपकी ही कृपा है। मैंने उनके पैर छुए और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। तब भट्टे के मालिक ने कहा, आप लोग थक गए होंगे आज आप विश्राम कीजिए। कल अपने आश्रम की ओर निकालियेगा मैं स्वयं आपको अपनी गाड़ी से छोड़कर आऊंगा। हम लोग उसी दिन निकल जाना चाहते थे, लेकिन उसके इस प्रकार कहने पर हमें वहां रुकना पड़ा, लेकिन यह रात मुझ पर बहुत भारी होने वाली थी। मैंने सोचा भी नहीं था कि मेरे साथ आज क्या होने वाला है। हम लोगों को अलग अलग कमरा दिया गया और रात के खाने के बाद सभी लोग सोने के लिए चले गए। मुझे बहुत गहरी नींद आ गई। मैं सो रहा था, अचानक लगा जैसे मेरे शरीर पर मेरे सारे कपड़े है ही नहीं और कोई मेरे ऊपर चिपका हुआ है। मैं समझ नहीं पाया। अचानक मेरी आंख खुली तो एक नग्न लड़की मुझसे चिपकी हुई थी। मैं भी बिना कपड़ों के उससे चिपका हुआ। अपने आपको देखता हूं। मेरे सारे कपड़े फाड़ दिए गए थे लेकिन मुझे पता ही नहीं चला था। वह लड़की मेरे साथ पता नहीं कितनी देर से संभोग कर रही थी?
तभी सूरज का हल्का सा प्रकाश नजर आया। और चारों तरफ मैंने वहां कई लोगों को खड़े हुए देखा। मैंने इस बात की कल्पना ही नहीं की थी। गांव के कई सारे लोग। भट्टे का मालिक वह व्यक्ति। सब ने दरवाजा खोला और मुझे गालियां देने लगे। और जब मेरी नजर उस नग्न लड़की पर पड़ी और खुद को देखा तो मैं खुद शर्म से पानी पानी हो गया। मैं बिना कपड़ों के था। वह लड़की भी वस्त्र विहीन थी और वह लड़की स्वयं उस भट्टा मालिक की लड़की थी जिसे मैंने कल रात को ठीक किया था। भट्टा मालिक बहुत गुस्से में भर गया। उसने मेरे गुरु को डांटते हुए कहा, यही सब तुम लोग करते हो? तुमने ऐसे ऐसे शिष्य रखे हैं जो लोगों की इज्जत लूटते हैं। मेरी बेटी की इज्जत इस आदमी ने लूट ली है। और वह अंदर से अपनी। लाइसेंसी बंदूक ले आया मुझे जान से मारने के लिए। जैसे ही वह बंदूक लेकर आया मेरे गुरु जी मुझसे कहने लगे। यह तूने क्या किया। मैं कोई जवाब देने की हालत में नहीं था। एक तो मैं बिना कपड़ों के था और साथ में उस! ईट भट्टा मालिक की लड़की के साथ पकड़ा गया था। ऐसा क्या हुआ था रात को मुझे कुछ समझ में नहीं आया लेकिन? गुस्से से भरे हुए भट्टे के मालिक उस व्यक्ति ने मुझ पर फायर कर दिया और उस समय मैंने उस शक्ति का आवाहन किया। उस शक्ति ने सामने प्रत्यक्ष होकर जो चमत्कार दिखाया वह अद्भुत था। माता तारा की शक्ति की वजह से उस भट्टा मालिक की बंदूक हाथ में ही फट गई। उसका फायर उसी बंदूक में हो गया था। जिसकी वजह से उसकी हाथ की एक उंगली भी कट गई और जोरदार धमाका हुआ था। यह देखकर बाकी लोग आश्चर्यचकित हो गए। देवी भयानक रूप में आ गई थी इस प्रकार सब को देख कर। सारे! लोग उनसे भयभीत हो गए। उन्होंने प्रत्यक्ष ही क्रोधित होकर दर्शन दिया था। लोग इधर-उधर भागे। और उस लड़की को उठाकर उन्होंने एक तरफ फेंक दिया। और फिर वह लड़की अचानक होश में आ गई। मैंने देखा देवी ने एक स्त्री को पकड़ लिया था जो उस लड़की के अंदर मौजूद थी। और वह थी उस जिन्न की पत्नी। जो कि खुद भी एक स्त्री जिन थी। उसी ने यह सारी घटना को अंजाम दिया था। मेरी सारी शक्ति छीनने और अपने पति का बदला लेने के लिए उसने यह हरकत की थी। इस प्रकार! उसको? समाप्त कर देवी भी मेरी ओर देखकर कहने लगी। मैंने तुमसे वचन लिया था कि प्रत्यक्ष मैं किसी के सामने उपस्थित नहीं होंऊगी। और जब मैं ऐसा करूंगी उस दिन तुम्हारी सिद्धि नष्ट हो जाएगी, किंतु ऐसी परिस्थिति बन गई कि तुम्हारे प्राण बचाने के लिए मुझे प्रत्यक्ष होना पड़ा। चाहे तुम पुकारते अथवा नहीं। मुझे आना ही पड़ता। तुमने अपने पर कवच नहीं लगाया इसलिए ऐसा घटित हो गया। अब आज से तुम्हारी सिद्धि समाप्त होती है। किंतु तुम? सब चीजों का उपयोग और उपभोग करोगे जो धनराशि और दान तुम्हें प्राप्त हुआ है इस प्रकार! देखते ही देखते देवी उस जिन स्त्री को लेकर चली गई। और इसके बाद फिर उन्होंने कभी दर्शन नहीं दिए। उस दिन मेरी सिद्धि चली गई, लेकिन जाते-जाते उन्होंने उस ईट भट्टा मालिक को ठीक कर दिया। उसकी बुद्धि सही हो गई थी। उसने मुझ से माफी मांगी जितने लोग वहां उपस्थित थे उन सब ने मुझ से माफी मांगी थी। उस लड़की ने भी मुझ से माफी मांगी और कहा, मैं अपने वश में नहीं थी। मुझे नहीं पता कि मैं रात को आपके पास क्यों आई। मैंने भी स्वयं को और अपने गुरु को बताते हुए उन सभी को कहा कि यह सब कुछ उस जिन औरत ने किया था। इसी कारण से आपकी स्त्री! स्वरूपा देवी आपकी कन्या। मुझे! इस अवस्था में आकर ऐसी गलत हरकत करने को तैयार हो गई थी। ताकि वह मेरी सिद्धि छीन सके। क्योंकि संभोग के माध्यम से किसी की भी शक्ति छीनी जा सकती है और यह बात वह जिन स्त्री जानती थी और अपने पति का भी बदला उसे लेना था। तो गुरु जी यही है मेरे जीवन की वास्तविक घटना! जिसकी वजह से मैंने सिद्धि गवा दी थी। अब फिर से मैं प्रयास कर रहा हूं कि माता की सिद्धि मुझे प्राप्त हो जाए, किंतु कई बार कोशिश करने पर भी मुझे वह सिद्धि वापस नहीं मिल पा रही है। किंतु मैं प्रयास जारी रखूंगा और भविष्य में आप लोगों को और भी अनुभव साधनाओ के भेजूंगा ताकि सभी साधकों का मार्गदर्शन हो सके और स्वयं को गुप्त रखने के अलावा मेरे पास और कोई चारा भी नहीं है। मैं आपको और आपके धर्म रहस्य परिवार को नमन करता हूं। आप एक अच्छा कार्य कर रहे हैं। हमारी सनातन परंपरा को बचाए रखने और इसके रहस्यों का उद्घाटन करने का नमस्कार गुरु जी! संदेश-तो देखिए यहां पर इनके जीवन में सिद्धि आई और फिर उन्होंने उसे प्राप्त भी किया। लेकिन किसी वजह से दूसरे की मदद करने के अच्छे कार्य में भी कभी-कभी आपकी असावधानी भारी पड़ जाती है और वही यहां पर हुआ तो जो लोग भी सिद्धि प्राप्त कर लें, उन्हें हर वक्त सावधान रहना चाहिए तभी उनकी सिद्धि बची रह सकती है। तो यह था इनका अनुभव जो आज समाप्त होता है, अगर आपको यह पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।
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